मुल्ला नसरुद्दीन एक मज़ेदार और चालाक आदमी था। उसकी कहानियाँ कई देशों में सुनाई जाती हैं। कभी वह बहुत समझदार लगता है, तो कभी थोड़ा बेवकूफ। लोग उसकी कहानियों से हँसते भी हैं और कुछ नया भी सीखते हैं।

मुल्लाह नसरुद्दीन का सपना था भारत को जाना। और एक दिन फ़ाइनली वह भारत को जा पाया। 

पहले दिन, वह ताज महल को गया। दूसरे दिन, वह मंदिर को गया दर्शन लेने के लिए। फिर किसी दिन वह जयपुर को गया। उधर उसको बहुत बाज़ार मिले। 

अचानक, एक बाज़ार में, नसरुद्दीन ने कई मिठाइयाँ देखीं। “अरे! ये मिठाइयाँ बहुत टेस्टी लग रही हैं!” नसरुद्दीन ने सोचा। 

नसरुद्दीन को हिंदी बिल्कुल नहीं आती थी, लेकिन वह परेशान नहीं हुआ। उसने बहुत मिठाइयाँ ख़रीदीं और कई मिठाइयाँ खाईं।

एक हिंदुस्तानी आदमी वहाँ पर था, उसने सब कुछ देखा, और नसरुद्दीन से पूछा, “आप पागल हैं, क्या!? आप मिर्चें क्यों खा रहे हैं?”

नसरुद्दीन ने कहा, “मुझे मालूम नहीं था कि ये मिर्चें हैं, मुझे लगता था कि ये मिठाइयाँ थीं।” और फिर भी नसरुद्दीन मिर्चें खाता रहा। 

“लेकिन – अब तो आपको मालूम है कि ये मिर्चें मिठाइयाँ नहीं हैं। मिर्चें हैं! तो आप अभी भी क्यों खा रहे हैं?”

“बात यह है,” नसरुद्दीन ने कहा, “कि मैंने अपने सब पैसे ख़र्च लिए हैं, और मैं अपने पैसे फ़ालतू में गुज़ारना नहीं चाहता!”

लोग तो ऐसे ही होते हैं। हो सकता है कि हमारी कोई मुश्किल हो −रिश्ते में, काम में वग़ैरा… लेकिन हमने इसमें बहुत समय, पैसे, ड्रामा, और शक्ति लगाई है, और अब इसे छोड़ना मुश्किल हो गया है! हम दुख और तकलीफ़ पसंद करते हैं, किसी चीज़ को जाने देने से पहले । 

अभ्यास

फ़ेर्नांदो से मिलो!

नमस्ते! मेरा नाम फ़ेर्नांदो है। मैं कोलंबिया से हूँ। आजकल मैं दर्शनशास्त्र पढ़ाता हूँ और भारत में गाइड का काम भी करता हूँ। मैं हिंदी पढ़ता हूँ दर्शनशास्त्र की किताबें समझने के लिए और अपने काम में लोगों से बात करने के लिए। मुझे हिंदुस्तानी खाना और संगीत बहुत पसंद हैं।

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